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द्वितीय विश्वयुद्ध
जब युद्ध दुबारा हुआ....
द्वितीय विश्वयुद्ध १९३९ से १९४५ तक चलने वाला विश्व-स्तरीय युद्ध था। लगभग ७० देशों की थल-जल-वायु सेनाएँ इस युद्ध में सम्मलित थीं। इस युद्ध में विश्व दो भागों मे बँटा हुआ था - मित्र राष्ट्र और धुरी राष्ट्र। इस युद्ध के दौरान पूर्ण युद्ध का मनोभाव प्रचलन में आया क्योंकि इस युद्ध में लिप्त सारी महाशक्तियों ने अपनी आर्थिक, औद्योगिक तथा वैज्ञानिक क्षमता इस युद्ध में झोंक दी थी। इस युद्ध में विभिन्न राष्ट्रों के लगभग १० करोड़ सैनिकों ने हिस्सा लिया, तथा यह मानव इतिहास का सबसे ज़्यादा घातक युद्ध साबित हुआ। इस महायुद्ध में ५ से ७ करोड़ व्यक्तियों की जानें गईं क्योंकि इसके महत्वपूर्ण घटनाक्रम में असैनिक नागरिकों का नरसंहार- जिसमें होलोकॉस्ट भी शामिल है- तथा परमाणु हथियारों का एकमात्र इस्तेमाल शामिल है (जिसकी वजह से युद्ध के अंत मे मित्र राष्ट्रों की जीत हुई)। इसी कारण यह मानव इतिहास का सबसे भयंकर युद्ध था।
Gurushala | 23 Sep 2021
महिलाएं जिन्हें भारत रत्न से सम्मानित किया गया है
महिलायें जिन्हें देश का सर्वोच्च सम्मान मिला
भारत रत्न भारत का सर्वोच्च नागरिक सम्मान है। यह सम्मान राष्ट्रीय सेवा के लिए दिया जाता है। इन सेवाओं में कला, साहित्य, विज्ञान, सार्वजनिक सेवा और खेल शामिल है। इस सम्मान की स्थापना 2 जनवरी 1954 में भारत के तत्कालीन राष्ट्रपति श्री राजेंद्र प्रसाद द्वारा की गई थी। अन्य अलंकरणों के समान इस सम्मान को भी नाम के साथ पदवी के रूप में प्रयुक्त नहीं किया जा सकता। प्रारम्भ में इस सम्मान को मरणोपरांत देने का प्रावधान नहीं था, यह प्रावधान 1955 में बाद में जोड़ा गया। तत्पश्चात् 14 व्यक्तियों को यह सम्मान मरणोपरांत प्रदान किया गया। एक वर्ष में अधिकतम तीन व्यक्तियों को ही भारत रत्न दिया जा सकता है।
Gurushala | 23 Sep 2021
समय यात्रा से जुड़ी सच्ची घटनाएं
रहस्यमयी सच्ची घटनाएं
समय यात्रा के विषय पर वैज्ञानिक शोध निरंतर चलते रहते है, परन्तु वैज्ञानिक आज भी समय यात्रा की गुत्थी को नहीं सुलझा पाए है, इसलिए समय यात्रा आज भी हमारे लिए हैरान कर देने वाला विषय है। समय यात्रा बस कोई सोच नहीं है, बल्कि इतिहास हमें इसके कई सबूत देता हैं, समय यात्रा की कल्पना करना ही बहुत मुश्किल है, पर ऐसे कई सबुत मिलते रहे हैं जो समय यात्रा को दर्शाते हैं, जो बेहद रहस्यमयी हैं। हम ये तो नहीं कह रहे है की ये सारे सबूत सही हैं पर ये हमें सोचने पर जरुर मजबूर कर देते हैं के वाकई में समय यात्रा सच हो सकती हैं। अधिक जानकारी के लिए यूआरएल पर जाएं planetstime.com
Gurushala | 23 Sep 2021
महानोवा
ब्रम्हांड में घटने वाली अनोखी घटना
खगोलशास्त्र में महानोवा (सुपरनोवा) किसी तारे के भयंकर विस्फोट को कहते हैं। महानोवा नोवा से अधिक बड़ा धमाका होता है और इस से निकलता प्रकाश और विकिरण (रेडीएशन) इतना ज़ोरदार होता है के कुछ समय के लिए अपने आगे पूरी आकाशगंगा को भी धुंधला कर देता है लेकिन फिर धीरे-धीरे ख़ुद धुंधला जाता है। जब तक महानोवा अपनी चरमसीमा पर होता है, वह कभी-कभी कुछ ही हफ़्तों या महीनो में इतनी उर्जा प्रसारित कर सकता है जितनी की हमारा सूरज अपने अरबों साल(एक बिलियन) के जीवनकाल में करेगा।
Gurushala | 23 Sep 2021
ये है तारों की दुनिया
तारामंडल
खगोलशास्त्र में तारामंडल आकाश में दिखने वाले तारों के किसी समूह को कहते हैं। इतिहास में विभिन्न सभ्यताओं नें आकाश में तारों के बीच में कल्पित रेखाएँ खींचकर कुछ आकृतियाँ प्रतीत की हैं जिन्हें उन्होंने नाम दे दिए। मसलन प्राचीन भारत में एक मृगशीर्ष नाम का तारामंडल बताया गया है, जिसे यूनानी सभ्यता में ओरायन कहते हैं, जिसका अर्थ "शिकारी" है। प्राचीन भारत में तारामंडलों को नक्षत्र कहा जाता था। आधुनिक काल के खगोलशास्त्र में तारामंडल उन्ही तारों के समूहों को कहा जाता है जिन समूहों पर अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर अंतर्राष्ट्रीय खगोलीय संघ में सहमति हो! अधिक जानकारी के लिए यूआरएल पर जाए hi.wikipedia.org
Gurushala | 23 Sep 2021
तारा गुच्छ
तारों की विचीत्र आकृतियां
तारागुच्छ (star cluster, स्टार क्लस्टर) या तारामेघ तारों के विशाल समूह को कहते हैं। विशेष रूप से दो तरह के तारागुच्छ पायें जाते है -
गोल तारागुच्छे (globular cluster, ग्लोब्युलर क्लस्टर) सैंकड़ो हजारों घनीभूत वितरण वाले बूढ़े तारों का समूह है जों गुरुत्वाकर्षण से आपस में बंधे होते है।
खुले तारागुच्छे (open cluster, ओपन क्लस्टर) में तारों का वितरण अपेक्षाकृत शिथिल होता है और इसमे प्रायः कुछ सौ की संख्या में नवीकृत तारें पायें जाते है।
Gurushala | 23 Sep 2021
दुनिया भर में प्रसिद्ध ज्वालामुखी
दुनिया के सबसे ख़ूबसूरत ज्वालामुखी
ज्वालामुखी सोये हुए दानव की तरह होते हैं. कभी-कभी ही जागते हैं और जब जागते हैं तो आसपास के लोगों पर कहर बरपा कर फ़िर शांत हो जाते हैं। दुनिया में कई ऐसे ज्वालामुखी हैं. सिर्फ लातिन अमरीका में ही ऐसे दर्जनों सक्रिय ज्वालामुखी हैं. लेकिन इन में से कुछ बहुत ही ख़तरनाक हैं।
Gurushala | 23 Sep 2021
सूरत स्प्लिट
कांग्रेस का सूरत विभाजन
सन 1907 में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस का अधिवेशन सूरत में हुआ जिसमें कांग्रेस गरम दल और नरम दल नामक दो दलों में बंट गयी। इसी को सूरत विभाजन कहते हैं। 1907 के अधिवेशन की अध्यक्षता रास बिहारी घोष ने की थी। अधिक जानकारी यूआरएल पर जाएँ hi.wikipedia.org
Gurushala | 30 Aug 2021
बंगाल विभाजन का इतिहास
बंगाल का विभाजन
बंगाल विभाजन के निर्णय की घोषणा 19 जुलाई 1905 को भारत के तत्कालीन वाइसराय कर्जन के द्वारा किया गया था। एक मुस्लिम बहुल प्रान्त का सृजन करने के उद्देश्य से ही भारत के बंगाल को दो भागों में बाँट दिये जाने का निर्णय लिया गया था। बंगाल-विभाजन 16 अक्टूबर 1905 से प्रभावी हुआ। इतिहास में इसे बंगभंग के नाम से भी जाना जाता है। अधिक जानकारी के लिए दिए गए यूआरएल पर जाएँ hi.wikipedia.org
Gurushala | 30 Aug 2021
होमरूल आन्दोलन
होमरूल लीग आंदोलन
आधुनिक भारत के इतिहास में होम रूल लीग आंदोलन एक महत्वपूर्ण घटना हैं, और इस लीग की स्थापना करने वाले लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक और एनी बेसेंट ने भारत के राष्ट्रवाद में महत्वपूर्ण योगदान दिया था. होम रुल लीग आंदोलन प्रथम विश्व युद्ध के बाद हुआ था, इस आंदोलन की शुरुआत 1916 में बाल गंगाधर तिलक और एनी बेसेंट ने की थी। अधिक जानकारी यूआरएल पर जाएँ jivaniitihashindi.com
Gurushala | 30 Aug 2021
क्या थी ग़दर पार्टी
भारत में गदर आंदोलन
ग़दर पार्टी साम्राज्यवाद के ख़िलाफ़ हथियारबंद संघर्ष का ऐलान और भारत की पूरी आज़ादी की मांग करने वाली राजनैतिक पार्टी थी, जो कनाडा और अमरीका में प्रवासी भारतीयों ने 1913 में बनाई थी, इसके संस्थापक अध्यक्ष सरदार सोहन सिंह भाकना थे. पार्टी का मुख्यालय सैन फ्रांसिस्को में था। इस पार्टी के पीछे लाला हरदयाल की सोच थी, जिन्हें इंग्लैंड की ऑक्सफ़ोर्ड यूनिवर्सिटी से स्वतंत्रता आंदोलन से जुड़ी गतिविधियां चलाने के आरोप में निकाल दिया गया था। इसके बाद वो अमरीका चले गए थे. वहां उन्होंने भारतीय प्रवासियों को जोड़ना शुरू किया और ग़दर पार्टी की स्थापना की। पार्टी के अधिकतर सदस्य पंजाब के पूर्व सैनिक और किसान थे, जो बेहतर ज़िंदगी की तलाश में अमरीका गए थे.
Gurushala | 30 Aug 2021
भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस
भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस का गठन
भारत की स्वतंत्रता के लिए आंदोलन 1885 में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की स्थापना के साथ शुरू हुआ। यह कहना बहुत मुश्किल है कि राष्ट्रीय कांग्रेस जैसे संगठन की स्थापना का विचार कैसे आया। राष्ट्रीय कांग्रेस के जन्म से पहले, कई संगठनों का गठन किया गया था। लेकिन उनमें से ज्यादातर के उद्देश्य सीमित थे और उनका प्रभाव उनके संबंधित क्षेत्रों तक ही सीमित था। अधिक जानकारी यूआरएल पर जाएँ historydiscussion.net
Gurushala | 30 Aug 2021
आगा खान महल का इतिहास
एक अविश्वसनीय इमारत
भारत में मौजूद कई ऐतिहासिक स्मारक हैं जो देश की सांस्कृतिक और सुंदर वास्तुकला को दर्शाता है। ऐसा ही एक स्मारक आगा खान महल, वर्ष 1892 में मुहम्मद शाह आगा खान तृतीय द्वारा निर्मित यह एक अविश्वसनीय इमारत है, जो महाराष्ट्र राज्य के पुणे में स्थित है। यह स्मारक ऐतिहासिक रूप से घटित कई महान क्षण का साक्षी हैं जो भारत की स्वतंत्रता से संबंधित था। इस महल में महात्मा गांधी के साथ उनकी पत्नी कस्तूरबा गांधी, सरोजनी नायडू और महादेव देशाई को बंदी बना कर रखा गया था। अधिक जानकारी यूआरएल पर जाएँ adotrip.com
Gurushala | 30 Aug 2021
पहली लोकसभा का पहला सत्र
लोकसभा का पहला सत्र
प्रथम लोकसभा का गठन 17 अप्रैल, 1952 को हुआ था। इसकी पहली बैठक 13 मई, 1952 को हुई थी। लोकसभा के गठन के सम्बन्ध में संविधान के दो अनुच्छेद, यथा 81 तथा 331 में प्रावधान किया गया है। मूल संविधान में लोकसभा की सदस्य संख्या 500 निर्धारित की गयी थी, किन्तु बाद में इसमें वृद्धि की गयी। 31वें संविधान संशोधन, 1974 के द्वारा लोकसभा की अधिकतम सदस्य संख्या 547 निश्चित की गयी। वर्तमान में गोवा, दमन और दीव पुनर्गठन अधिनियम, 1987 द्वारा यह अभिनिर्धारित किया गया है कि लोकसभा अधिकतम सदस्य संख्या 552 हो सकती है। अधिक जानकारी के लिए यूआरएल पर जाएँ m.bharatdiscovery.org
Gurushala | 30 Aug 2021
भारत में 5 सबसे खराब मानव निर्मित आपदाएँ
भारत की सबसे बुरी मानव निर्मित आपदाएं
वर्षों से भारत ने विभिन्न आपदाओं को झेला है। जिसके कारण देश के कई लोगों ने अपनी जिन्दगी खो दीं। जबकि मानव के हाथों में प्रकृति की गतिविधि नहीं है। लेकिन इसके द्वारा लायी गई आपदाओं के प्रभाव को कम करना निश्चित रूप से मानव के हाथ में है। परन्तु सबसे बड़ी चिंता का विषय मानव निर्मित आपदाएं हैं जो मानवीय लापरवाही, उदासीनता, दूरदर्शिता और नियोजन की भारी कमी का परिणाम हैं। जिससे बड़ी संख्या में निर्दोष लोगों की मृत्यु हुई है। अब इन आपदाओं का निवारण होना आवश्यक है।
Gurushala | 30 Aug 2021
क्या समय यात्रा करना संभव है?
भविष्य में समय यात्रा
समय एक ऐसी चीज़ है जिसे हम इंसान अपने हिसाब से काबू नहीं कर सकते हैं,समय के साथ-साथ ब्रह्मांड में हर चीज़ भी बदलती रहती है। समय (time travel in hindi) का चक्र कभी नहीं रुकता और इसके आगे दुनिया की कोई भी चीज़ टिक नहीं सकती है।इसलिए भारतीय शास्त्रो में कहा जाता है की, समय बहुत ही बलवान है, अगर इसको कोई सही से उपयोग करें तो उसका जीवन सफल बन जाता है और इसके दुरुपयोग से जीवन बेकार और बेजान सा हो जाता है।
Gurushala | 05 Aug 2021
समय यात्रा और पौराणिक कथाएँ
धर्म ग्रंथों और समय यात्रा
समय यात्रा यानि Time travel, एक ऐसी स्तिथि है जिसमे हम ब्रह्माण्ड के किसी भी स्थान पर कम से कम समय में यात्रा कर सकते हैं, जिसे करने के लिए हमें प्रकाश की गति से यात्रा करना होगा। इसलिए समय यात्रा एक समय में कुछ बिंदुओं के बीच movement की अवधारणा है, किसी वस्तु या व्यक्ति द्वारा अंतरिक्ष में विभिन्न बिंदुओं के बीच movement के अनुरूप, आमतौर पर एक टाइम मशीन के रूप में ज्ञात काल्पनिक डिवाइस का उपयोग करना। अधिक जानकारी के लिए दिए गए यूआरएल पर जाएँ unrevealedfiles.com
Gurushala | 05 Aug 2021
सबसे अलग आदिवासी समुदाय
अंडमान-निकोबार द्वीप समूह के आदिवासी
जारवा जनजाति, अंडमान और निकोबार द्वीप समूह की 6 आदिवासी जनजातियों में से एक है. जारवा जनजाति का सम्बन्ध नेग्रिटो समुदाय की जनजाति से है. वर्तमान में यह जनजाति मध्य अंडमान के पश्चिमी भाग और दक्षिण अंडमान के इलाके में रहती है. इस जनजाति का अस्तित्व पिछले 55 हजार सालों से बना हुआ है लेकिन अब इस जनजाति के केवल 380 लोग ही बचे हैं। अधिक जानकारी के लिए दिए गए यूआरएल पर जाएँ jagranjosh.com
Gurushala | 05 Aug 2021
भारत में राज्यसभा की स्थापना
राज्यसभा क्या है?
राज्य सभा भारतीय लोकतंत्र की ऊपरी प्रतिनिधि सभा है। लोकसभा निचली प्रतिनिधि सभा है। राज्यसभा में २४५ सदस्य होते हैं। जिनमे १२ सदस्य भारत के राष्ट्रपति के द्वारा नामांकित होते हैं। इन्हें 'नामित सदस्य' कहा जाता है। अन्य सदस्यों का चुनाव होता है। राज्यसभा में सदस्य ६ साल के लिए चुने जाते हैं, जिनमे एक-तिहाई सदस्य हर २ साल में सेवा-निवृत होते हैं। अधिक जानकारी के लिए यूआरएल पर जाएँ hi.wikipedia.org
Gurushala | 05 Aug 2021