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सामान्य भाव में योग का अर्थ है जुड़ना। यानी दो तत्वों का मिलन योग कहलाता है। आत्मा का परमात्मा से जुड़ना यहां अभीष्ट है। योग की पूर्णता इसी में है कि जीव भाव में पड़ा मनुष्य परमात्मा से जुड़कर अपने निज आत्मस्वरूप में स्थापित हो जाए।