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1990 के शुरुआती सालों में ये अनुमान लगाया गया कि पृथ्वी के केंद्र का तापमान करीब 5000 डिग्री सेंटीग्रेड तक हो सकता है. यह आकलन तमाम नतीजों को कंप्यूटर के जरिए आकलित करके निकाला गया था| नए शोध अध्ययन के सह लेखक और फ्रांसीसी शोध एजंसी सीआईए के एजनेस डवेल ने बताया, “तब ऐसे आकलनों की शुरुआत थी और उन लोगों ने पहला अनुमान 5000 सेल्सियस का लगाया| डवेल के नेतृत्व में शोध वैज्ञानिकों के दल ने 20 साल पुराने आकलन की छानबीन की है. इसके लिए यूरोपियन सायक्रोटोन रेडिएशन फैसिलिटी का इस्तेमाल किया गया. यह दुनिया के सबसे बहेतरीन एक्स रे अध्ययन की व्यवस्था है| इसके तहत पृथ्वी के केंद्र की परत पर अत्यधिक दबाव डाला जो समु्द्र तल के दबाव से करीब दस लाख गुना ज़्यादा था| इसके बाद वैज्ञानिकों ने उस परत पर एक्स रे किरणों की बौछार डाली और ये देखा किस तरह तौर लौह तत्व पिघल कर तरल अवस्था में तब्दील हो रही है| इसके बाद पृथ्वी के केंद्र का तापमान आंका गया जो करीब 6000 डिग्री सेल्सियस था| यह तापमान उतना ही जितना सूर्य की सतह का तापमान होता है| डवेल अपने इस नए आकलन के बारे में बताते हुए कहती हैं कि इस नतीजे से अब हर कोई सहमत है|
https://www.bbc.com/hindi/science/2013/04/130427_earth_core_hotter_sun_pk
पृथ्वी की सतह के अंदर जाने पर तापमान बढ़ने लगता है. ये गर्मी कितनी ज़्यादा होती है, इसके बारे में अब तक वैज्ञानिक अंदाजा लगाते रहे हैं. लेकिन अब वैज्ञानिक इस नतीजे पर पहुंचे हैं कि पृथ्वी के अंदर का तापमान पहले के आकलन से कई गुना ज़्यादा है.
https://www.bbc.com/hindi/science/2013/04/130427_earth_core_hotter_sun_pk
1990 के शुरुआती सालों में ये अनुमान लगाया गया कि पृथ्वी के केंद्र का तापमान करीब 5000 डिग्री सेंटीग्रेड तक हो सकता है. यह आकलन तमाम नतीजों को कंप्यूटर के जरिए आकलित करके निकाला गया था| नए शोध अध्ययन के सह लेखक और फ्रांसीसी शोध एजंसी...
1990 के शुरुआती सालों में ये अनुमान लगाया गया कि पृथ्वी के केंद्र का तापमान करीब 5000 डिग्री सेंटीग्रेड तक हो सकता है. यह आकलन तमाम नतीजों को कंप्यूटर के जरिए आकलित करके निकाला गया था|