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धर्मग्रंथों से जुडी कुछ महत्त्वपूर्ण बातें
आजकल किसी भी संप्रदाय के ग्रंथ को धर्मग्रंथ ही कहा जाता है। धर्मग्रंथ किसी भी संप्रदाय या धर्म का आधार होता है। जिस संप्रदाय के पास अपना कोई एक धर्मग्रंथ नहीं, उसका कोई वजूद नहीं। धर्मग्रंथों में जहां इतिहास और कानून की बातें होती हैं वहीं उनमें धर्म की बातें भी होती हैं। धर्म की बात से तात्पर्य यह कि उसमें सत्य, अहिंसा, शांति और भाईचारे का पैगाम होता है। उसमें इहलोक और परलोक की भी कई रहस्यमय बातें लिखी होती हैं, जैसे स्वर्ग और नर्क, देवी और देवता, परमेश्वर और शैतान, जन्म और मृत्यु। कुछ धर्मग्रंथ पुनर्जन्म में विश्वास व्यक्त करते हैं तो कुछ नहीं। ऐसा नहीं है कि धर्मग्रंथों का केंद्र ईश्वर ही हो, जैन और बौद्ध धर्मग्रंथों में ईश्वर की चर्चा नहीं की गई है। अधिक जानकारी के लिए यूआरएल पर जाए hindi.webdunia.com
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