Life & Well Being

वक्त वक्त की बात

समय कितना बलवान हो सकता है यह सभी जानते हैं। जो बात कल तक बुरी समझी जाती थी  वही सबके लिए सुविधा जनक और सही साबित हो जाती है। दूर की क्या कहें एक उदहारण ही काफी है इस बात की पुष्टि के लिए। कल तक जो सयाने लोग ,माता -पिता अपने बच्चों को मोबाईल प्रयोग से रोकते थे ,उसक द्वारा समय की बर्बादी के उपदेश देते थे वही आजकल शिक्षा का अद्भुद सहायक सिद्ध हो रहा है। कोरोना काल में ऑनलाइन शिक्षा का  माध्यम बना हु आ है। छोटे से छोटे बच्चे भी आज कंप्यूटर और मोबाईल से घर बैठे पढाई लिखे कर रहे हैं। 


            वास्तव में समय के अनुसार जीवन के सभी कार्यकलाप और उनकी विधियां बदल जाती हैं प्राचीन काल में जब शिक्षा गुरुकुलों से ही संभव होती थी। जहाँ नगरों से दूर एकांत जगहों में ऋषि मुनियों के आश्रम होते थे  वे ही राजा महाराजाओं के और सनाढ्य व्यक्तियों की संतानों को अपने ज्ञान से उन्हें सुयोग्य बनाते थे। छात्र भी अपने सारे वैभव को छोड़ सादगी पूर्ण जीवन यापन करते हुए शिक्षा लेते थे। यद्यपि उस युग में भी गुरु शिष्यों की जाति  -पाति देख कर ही ज्ञान देते थे। एकलव्य और कर्ण  जैसे लोगों की  कथा से सभी परिचित हैं।  भील जाति  के एकलव्य को गुरु ने नहीं अपनाया ,उसने परोक्ष रूप से धनुर्विद्या सीख भी ली  तो गुरु दक्षिणा में अपना अंगूठा ही देना पड़ा। कर्ण को भी परशुराम ने श्राप ही दे डाला की वह सीखी हुई विद्या समय आने पर भूल जायेगा। 


              आधुनिक समय में भी अंग्रेजी राज के दौरान शिक्षा इस दृष्टि से ही दी जाती थी कि लोग उनके राज काज में सहायक हों और अपनी गरिमा आदि से अनभिज्ञ ही रहें उनमें जागरूकता न आने पाए।अपनी संस्कृति की  ओर  ध्यान न देकर उनका काम संभाल  सकें।  


आधुनिक समय में भी अच्छी शिक्षा पाना अमीरों के लिए ही सुगम है। निर्धनों के लिए शिक्षा अभी भी दूर ही है। यद्यपि सर्व  शिक्षा अभियान  और  मिड दे मील की सुविधा देकर बच्चों को स्कूली शिक्षा के लिए योजनायें हैं पर सभी को ये सुप्राप्य नहीं हैं।


 स्वतंत्रता के बाद भी  शिक्षा प्रणाली में बहुत फेर बदल नहीं हुआ। डिग्रियों और डिप्लोमा की प्राप्ति के लिए प्रयत्न रत लोगों को  सिर्फ परीक्षा मे मिले अंको के आकलन से   उनका भाग्य बदल दिया जाता है। रोजगार के लिए जिस निपुणता और योग्यता की ज़रुरत होती है उस पर ध्यान काम दिया जाता है। कई जगह तो 'पढ़े फ़ारसी बेचे तेल ' की बात चरितार्थ होती है। डिग्री और रोजगार में सामंजस्य ही नहीं दीखता। 
 परीक्षा में आनेवाले अंक लोगों को अवसाद में डालते हैं। यही कारण  है की परीक्षा के परिणामों के दौरान कई होनहार व्यक्ति निराशा में आत्महत्या कर लेते हैं। तनाव और अवसाद में वे इस मौके को ही अंतिम अवसर मान लेते हैं। शिक्षा का एक उद्देश्य यह भी तो है की लोगों में आत्मविश्वास बढ़ाए उन्हें अपनी योग्यता में सुधार  लाने  के अवसर दे। 


विकास के क्रम आगे बढ़ता हमारा देश आज भी कृषि पर आधारित है। किसानों की भी समस्याओं का निदान नहीं हो पाता। उनकी  स्थिति में भी सुधार  नहीं हो पाता । जिससे उनके बच्चे शिक्षा से दूर होते हैं। गांवों को छोड़ अन्य स्थानों में मज़दूरी करने को विवश हो जाते हैं। फिर मज़दूरी करते हुए जैसे तैसे जीवन यापन कर पाते हैं तो उनकी संताने भी मज़दूरी ही कर सकते हैं उन्हें भी  स्कूल ,पढाई लिखाई की सुविधा सुलभ नहीं होती।


सरकारी स्कूलों और प्राइवेट स्कूलों में बहुत अंतर है। प्राइवेट स्कूलों की मँहगी  फीस केवल अमीर ही दे सकते हैं वहां सभी सुख ,सुविधाएं बच्चों को मिलती हैं।
 जबकि जन साधारण और ग्रामीण  बच्चों को  बहुत मुश्किलों का सामना करना पड़ता है। 


आज भी कोरोना के कारण  हुए  लॉकडाउन   से  जब अच्छे स्कूलों के बच्चे 'ऑनलाइन '   होकर पढाई पूरी कर रहे हैं तो उन का क्या जो गांवों में रहते हैं --
जहाँ  बिजली या इंटरनेट की सुविधा नहीं है। 


बच्चों के पास  खाने ,पहनने को नहीं है तो मोबाईल या कंप्यूटर  कैसे प्राप्त करें?


माध्यम वर्गीय लोगों में घर में यदि कम्प्यूटर या मोबाईल है भी तो अधिकतर माता -पिता भी कार्यरत हैं और आजकल घरों से ही काम कर रहे हैं और यदि  घर में दो बच्चे भी हैं  और उन्हें भी ऑनलाइन कक्षा से पढाई करनी  हैं  तो क्या करें ?


उन बच्चों की पढाई का तो एक साल ख़तम ही हुआ। 
स्कूलों में जहाँ टीचर ही नहीं। ब्लैक -बोर्ड  चौक  किताबें जैसी मूल भूत वस्तुएं उपलब्ध नहीं  और अब स्कूल बंद ही हैं। 
 दूसरी और  वैज्ञानिक उन्नति तो हो रही है शहरों में हर व्यक्ति मोबाईल लिए दीखता है।  
अगर शिक्षा के माध्यम के रूप में इसे अपनाया जाये और सभी विद्यार्थियों को उपलब्ध करा दिया जाये तो शिक्षा के क्षेत्र में अभूतपूर्व क्रांति हो सकती है। 


हर कक्षा के बच्चों को देश ,काल की सीमाओं से मुक्ति मिलेगी  वे कहीं भी किसी भी विधा में ज्ञान प्राप्त कर सकते हैं अपनी कुशलता बढ़ा सकते है। अपने संदेहों का निवारण और अभ्यास कर सकते हैं अपने स्कूल कालेज ही नहीं देश विदेश के कुशल शिक्षकों से शिक्षा प्राप्त कर सकते हैं।  चित्रों ,फिल्मों,ऑडियो, वीडिओ, चार्टों ,प्रिंट आउट , के ज़रिए विषय को समझ सकते हैं।  वह अपने समय के अनुसार इनका पठन -पाठन कर सकते हैं.विडिओ कॉन फ्रेन्सिंग,चैटिंग से अपने सहपाठियों से तक वितर्क कर सकते हैं  ,ऑनलाइन परीक्षाएं दे सकते हैं। 
इस सबके लिए उसे अधिक फीस भी नहीं देनी होगी। आने जाने का खर्च कम होगा  .
आर्थिक स्थिति से नहीं जूझना पड़ेगा  दूसरे  शहरों में जाना ,हॉस्टल आदि का खर्च  नहीं बढ़ेगा। शिक्षा के लिए होने वाले पलायन से भी मुक्ति  मिलेगी। जहाँ स्कूल कालेज आदि की सुविधा नहीं है ऐसे क्षेत्रों में बच्चे पढाई कर सकते हैं  
अतः इस तरह शिक्षा के क्षेत्र में नयी तकनीकों का साथ मिलने से देश का प्रत्येक नागरिक शिक्षित हो सकेगा।

 
इस तरह का परिवर्तन लाना आज जी आवश्यकता है। शिक्षा ही मानव की शारीरिक, मानसिक  ,आर्थिक स्थिति का आधार है।    शिक्षित समाज से कई कुरीतियों ,अंधविश्वासों का निराकरण होगा और हमारा देश फिर उन्नत देशों की श्रेणी में आ सकेगा। 


इस तरह की क्रांति हमारी शिक्षा प्रणाली के लिए बहुत ज़रूरी है। स्वतंत्रता प्राप्ति के इतने समय बाद भी अभी यहाँ लोग रोटी कपडा और मकान  जैसी   मूलभूत  समस्याओं से ही जूझ  रहे हैं। 
क्या हमारी सरकार अपनी प्रजा की भलाई के लिए कुछ कारगर योजनाएं बनाएंगी ? जिससे  समाज के सभी प्रकार के अमीरी- गरीबी, ऊँच- नीच आदि भेद भाव मिट सकेंगे और भारत फिर विश्वगुरु की महिमा को प्राप्त करेगा या अपनी कमियों को छुपाने के लिए अतीत के गौरव  गीत गाते  रहेंगे ?
 

About the author

कार्यक्षेत्र- अध्यापन एवं लेखन।
संप्रति- पूर्वी अफ्रीका, शिमला, शिलौंग व देहली के स्कूलों में अध्यापन के बाद स्वतंत्र लेखन में व्यस्त। लिखने पढ़ने मे रुचि। `ओ माँ `नामक एक संग्रह (कविता,कहानी व लेख) प्रकाशित। पत्र-पत्रिकाओं में कहानियाँ व लेख प्रकाशित।

२०१०-११ में उद्भव मानव सेवा सम्मान प्राप्त

Comments

Write for Us

Recommended by Gurushala

Life & Well Being

-By Aanya Kapoor

Importance of Social-Emotional Learning for Students

Technology & Innovation

-By Valentina Milanova

How Content Rephrasing is Useful for Students and Teachers? 3 Free Tools

Life & Well Being

-By Rahila Ahmed

Health Benefits of Vitamin D

On the course of continuous learning- An inspiring teacher story from Pune

Related Articles

Life & Well Being

-By Aanya Kapoor

Importance of Social-Emotional Learning for Students

Life & Well Being

-By Rahila Ahmed

Health Benefits of Vitamin D

Life & Well Being

-By Maitri Patel

Creativity: Key to success

Life & Well Being

-By Nishu Sharma

Depression: What and How