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तितली का जीवन चक्र
तितली के जीवन के मुख्य चरण
सभी तितलियों में "complete metamorphosis" होता है। वयस्क होने के लिए वे 4 चरणों से गुजरती है: अंडा, लार्वा, प्यूपा और वयस्क। प्रत्येक चरण का एक अलग लक्ष्य होता है - उदाहरण के लिए, कैटरपिलर को बहुत अधिक खाने की आवश्यकता होती है, और वयस्कों को प्रजनन करने की आवश्यकता होती है। तितली के प्रकार के आधार पर, तितली के जीवन चक्र में एक महीने से लेकर पूरे एक साल तक का समय लग सकता है। अधिक जानकारी के लिए विजिट करें myhighinfo.blogspot.com
Gurushala | 28 Dec 2021
कंप्यूटर वायरस
जो आपके कंप्यूटर के लिए हो सकता है हानिकारक
कंप्यूटर वायरस एक ऐसी चीज है जो एकबार उसमें घुसने बाद पूरे सिस्टम तक को क्रैश करने की ताकत रखते हैं। वायरस कंप्यूटर में घुसकर उसके निजी डेटा चुराने से लेकर उसें लॉक भी कर सकते है। हम यहां आपको बता रहे हैं दुनिया के ऐसे ही सबसे खतरनाक वायरस के बारे में जिनसे बचकर रहने में ही समझदारी है। अधिक जानकारी के लिए विजिट करें patrika.com
Gurushala | 28 Dec 2021
पौधों का जीवन चक्र
पौधों के जीवन चक्र के चरण
पौधों का जीवन चक्र वे चरण हैं जिनके द्वारा पौधे अपने जीवन में गुजरते हैं। यह प्रक्रिया आमतौर पर प्रत्येक प्रजाति की प्रजनन विशेषताओं के अनुसार भिन्न होती है.
पौधों के मामले में जो यौन प्रजनन करते हैं, चक्र उन बीजों के अस्तित्व से निर्धारित होता है जो प्रजनन के लिए जिम्मेदार होते हैं. अधिक जानकारी के लिए विजिट करें hi.thpanorama.com
Gurushala | 28 Dec 2021
अच्छे बैक्टीरिया
बैक्टीरिया कैसे हमारी मदद करते हैं
बैक्टीरिया को हम जेनरली स्वास्थ्य के लिए हानिकारक मानते आए हैं. टीबी, टाइफाइड, फूड प्वॉयजनिंग, मेनिनजाइटिस, टिटनेस, निमोनिया, सिफलिस, हैजा जैसी कई बीमारियां बैक्टीरिया से ही फैलती है. लेकिन क्या आपको पता है कि ड बैक्टीरिया (Bad Bacteria) के अलावा गुड बैक्टीरिया (Good Bacteria) भी होते हैं. एक्सपर्ट्स बताते हैं कि ज्यादातर बैक्टीरिया हमें नुकसान नहीं पहुंचाते हैं और हमारे लिए उपयोगी भी हैं. गुड बैक्टीरिया हमारे इम्यून सिस्टम को चौकन्ना रखते हैं. जब कोई बीमारी पैदा करने वाला बैक्टीरिया हमारे संपर्क में आता है तो ये सक्रिय हो जाते हैं और उससे लड़ने में मदद करते हैं. अधिक जानकारी के लिए विजिट करें tv9hindi.com
Gurushala | 28 Dec 2021
डिजिटल ट्रैप
डिजिटल हैकिंग
कम्प्यूटर वायरस एक कम्प्यूटर प्रोग्राम (computer program) है जो स्वतः ही अपनी प्रतिकृति बना सकता है और उपयोगकर्ता की अनुमति के बिना किसी कम्प्यूटर को संक्रमित कर सकता है| विभिन्न प्रकार के मालवेयर (malware) और एडवेयर (adware) प्रोग्राम्स के सन्दर्भ में भी "वायरस" शब्द का उपयोग सामान्य रूप से होता है| अधिक जानकारी के लिए विजिट करें jagranjosh.com
Gurushala | 28 Dec 2021
नैनोतकनीक
नैनोप्रौद्योगिकी
नैनोतकनीक या नैनोप्रौद्योगिकी, व्यावहारिक विज्ञान के क्षेत्र में, १ से १०० नैनो (अर्थात 10−9 m) स्केल में प्रयुक्त और अध्ययन की जाने वाली सभी तकनीकों और सम्बन्धित विज्ञान का समूह है। नैनोतकनीक में इस सीमा के अन्दर जालसाजी के लिये विस्तृत रूप में अंतर-अनुशासनात्मक क्षेत्रों, जैसे व्यावहारिक भौतिकी, पदार्थ विज्ञान, अर्धचालक भौतिकी, विशाल अणुकणिका रसायन शास्त्र (जो रासायन शास्त्र के क्षेत्र में अणुओं के गैर कोवलेन्त प्रभाव पर केन्द्रित है), स्वयमानुलिपिक मशीनएं और रोबोटिक्स, रसायनिक अभियांत्रिकी, याँत्रिक अभियाँत्रिकी और वैद्युत अभियाँत्रिकी. अभी यह कहना मुशकिल है कि इन रेखाओं में अनुसन्धान के क्या परिणाम होंगे। नैनोप्रौद्योगिकी को विद्यमान विज्ञान का नैनो स्केल में विस्तारीकरण, या विद्यमान विज्ञान को एक नये आधुनिक शब्ध में पुनराधारित कर रहा है। अधिक जानकारी के लिए विजिट करें hi.wikipedia.org
Gurushala | 28 Dec 2021
सबसे हानिकारक बैक्टीरिया
बैक्टीरिया: जो स्वस्थ्य के लिए हानिकारक
बैक्टीरिया सूक्ष्म जीव हैं जिन्हें हम बिना माइक्रोस्कोप की मदद के नहीं देख सकते। यों तो प्रकृति के अलावा हमारे शरीर पर लाखों बैक्टीरिया रहते हैं। इनमें से अधिकतर हमारे लिए हानिकारक नहीं हैं। बल्कि कुछ तो हमारे अच्छे स्वास्थ्य के लिए आवश्यक भी हैं। इसके बावजूद कुछ बैक्टीरिया घातक बीमारियों को जन्म देते हैं। अधिक जानकारी के लिए विजिट करें navbharattimes.indiatimes.com
Gurushala | 28 Dec 2021
विलुप्त हो चुके जानवर
लुप्तप्राय प्रजातियां
लुप्तप्राय प्रजातियां, ऐसे जीवों की आबादी है, जिनके लुप्त होने का जोखिम है, क्योंकि वे या तो संख्या में कम है, या बदलते पर्यावरण या परभक्षण मानकों द्वारा संकट में हैं। साथ ही, यह वनों की कटाई के कारण भोजन और/या पानी की कमी को भी द्योतित कर सकता है। प्रकृति के संरक्षणार्थ अंतर्राष्ट्रीय संघ (IUCN) ने 2006 के दौरान मूल्यांकन किए गए प्रजातियों के नमूने के आधार पर, सभी जीवों के लिए लुप्तप्राय प्रजातियों की प्रतिशतता की गणना 40 प्रतिशत के रूप में की है। अधिक जानकारी के लिए यूआरएल पर जाएँ hi.wikipedia.org
Gurushala | 27 Dec 2021
चाँद और खगोलीय घटनाएं
खगोलीय घटना
सुपरमून एक खगोलीय घटना है, जिसमें चाँद, पृथ्वी के सबसे नजदीकी स्थिति में आ जाता है, जिसके परिणामस्वरूप पृथ्वी से चाँद सामान्य दिखने वाले आकार से अधिक बड़ा दिखाई देता है। यह कोई खगोलिय शब्द नहीं है, ये शब्द आधुनिक ज्योतिष की देन है। ऐसा माना जाता है कि इस दौरान समुद्र में ज्वार आने के साथ साथ उन चट्टानों में भी ज्वार आता है। इस कारण भूकंप की घटना होती है, लेकिन इसका कोई ठोस प्रमाण नहीं है।
Gurushala | 27 Dec 2021
विलुप्त पक्षी
पक्षियों की विलुप्त प्रजातियाँ
पृथ्वी पर मानव की गतिविधियों और जंगलों के विनाश की वजह से कई पशु पक्षी विलुप्त हो गए हैं, सन 1500 से लेकर अब तक पक्षियों की 190 प्रजातियां विलुप्त हो चुकी हैं, विलुप्त होने की यह दर बढ़ती ही जा रही है, हवाई द्वीप के लगभग 30% पक्षियों की प्रजातियां नष्ट हो चुकी है इसी तरह गुआम द्वीप पर तो पक्षियों की 60% प्रजातियां सिर्फ 30 वर्षों के दौरान ही विलुप्त हो गई हैं. अधिक जानकारी के लिए यूआरएल पर जाएँ netinhindi.com
Gurushala | 27 Dec 2021
प्रमुख रीतिकालीन कवि
मुख्यतया कवित्त, सवैये और दोहे इस युग में लिखे गए
सन् 1700 ई. के आस-पास हिंदी कविता में एक नया मोड़ आया। इसे विशेषत: तात्कालिक दरबारी संस्कृति और संस्कृत साहित्य से उत्तेजना मिली। संस्कृत साहित्यशास्त्र के कतिपय अंशों ने उसे शास्त्रीय अनुशासन की ओर प्रवृत्त किया। हिंदी में 'रीति' या 'काव्यरीति' शब्द का प्रयोग काव्यशास्त्र के लिए हुआ था। इसलिए काव्यशास्त्रबद्ध सामान्य सृजनप्रवृत्ति और रस, अलंकार आदि के निरूपक बहुसंख्यक लक्षणग्रंथों को ध्यान में रखते हुए इस समय के काव्य को 'रीतिकाव्य' कहा गया। इस काव्य की शृंगारी प्रवृत्तियों की पुरानी परंपरा के स्पष्ट संकेत संस्कृत, प्राकृत, अपभ्रंश, फारसी और हिंदी के आदिकाव्य तथा कृष्णकाव्य की शृंगारी प्रवृत्तियों में मिलते हैं।
Gurushala | 16 Dec 2021
प्रमुख आधुनिककालीन कवि
आधुनिक काल
हिन्दी साहित्य का इतिहास (आधुनिक काल) तत्कालीन राजनैतिक गतिविधियों से प्रभावित हुआ है। इसको हिन्दी साहित्य का सर्वश्रेष्ठ युग माना जा सकता है, जिसमें पद्य के साथ-साथ गद्य, समालोचना, कहानी, नाटक व पत्रकारिता का भी विकास हुआ।
विक्रमी संवत् 1800 के उपरान्त भारत में अनेक यूरोपीय जातियाँ व्यापार के लिए आईं। उनके सम्पर्क से यहाँ पाश्चात्य सभ्यता का प्रभाव पड़ना प्रारम्भ हुआ। विदेशियों ने यहाँ के देशी राजाओं की पारस्परिक फूट से लाभ उठाकर अपने पैर जमाने में सफलता प्राप्त की। जिसके परिणाम-स्वरूप यहां पर ब्रिटिश साम्राज्य की स्थापना हुई। अधिक जानकारी के लिए विजिट करें hi.wikipedia.org
Gurushala | 16 Dec 2021
कैसलर सिंड्रोम क्या है?
अंतरिक्ष का कचरा
2017 में, भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने एक ही रॉकेट से 104 से कम उपग्रहों को लॉन्च करके विश्व रिकॉर्ड स्थापित किया, इस बारे में बहुत चर्चा हुई! इस साहसिक कदम के साथ, इसरो ने रूस द्वारा आयोजित पिछले रिकॉर्ड को ध्वस्त कर दिया, जिसने 2014 में एक ही मिशन में 37 उपग्रहों को लॉन्च किया था। अधिक जानकारी के लिए यूआरएल पर जाएँ www.hindinotes.org
Gurushala | 16 Dec 2021
इंटरनेट कैसे काम करता है
क्लाइंट और सर्वर क्या है?
इंटरनेट सेवा प्रदाता (ISP) के माध्यम से अप्रत्यक्ष रूप से इंटरनेट से जुड़ा हुआ है और IP address से पहचाना जाता है, जो संख्याओं की एक स्ट्रिंग है। जैसे आपके घर के लिए एक पता होता है जो विशिष्ट रूप से आपके घर की पहचान करता है, एक IP address आपके डिवाइस के शिपिंग पते के रूप में कार्य करता है।
Gurushala | 16 Dec 2021
प्रमुख आदिकालीन कवि
आदिकाल
हिन्दी साहित्य के इतिहास में लगभग 8वीं शताब्दी से लेकर 14वीं शताब्दी के मध्य तक के काल को आदिकाल कहा जाता है। इस युग को यह नाम डॉ॰ हजारी प्रसाद द्विवेदी से मिला है। आचार्य रामचंद्र शुक्ल ने 'वीरगाथा काल' तथा विश्वनाथ प्रसाद मिश्र ने इसे 'वीरकाल' नाम दिया है। इस काल की समय के आधार पर साहित्य का इतिहास लिखने वाले मिश्र बंधुओं ने इसका नाम आरंभिक काल किया और आचार्य महावीर प्रसाद द्विवेदी ने बीजवपन काल। डॉ॰ रामकुमार वर्मा ने इस काल की प्रमुख प्रवृत्तियों के आधार पर इसको चारण-काल कहा है और राहुल संकृत्यायन ने सिद्ध-सामन्त काल।
Gurushala | 13 Dec 2021
वायुमंडल संरचना
वायुमंडल क्या है?
वायुमंडल पृथ्वी के चारों ओर हवा के विस्तृत भंडार को कहते हैं ! यह सौर विकिरण की लघु तरंगों को पृथ्वी के धरातल तक आने देता है , परंतु पार्थिव विकिरण की लंबी तरंगों के लिए अवरोधक बनता है ! इस प्रकार यह ऊष्मा को रोककर विशाल “ग्लास हाउस” की भांति कार्य करता है , जिससे पृथ्वी पर औसतन 15 डिग्री सेंटीग्रेड तापमान बना रहता है ! यही तापमान पृथ्वी पर जीव मंडल के विकास का आधार है !
यद्यपि वायु मंडल का विस्तार लगभग 29000 किलोमीटर ऊंचाई तक मिलता है ! परंतु वायु मंडल का 99% भार सिर्फ 32 किलोमीटर तक ही सीमित है ! अधिक जानकारी के लिए यूआरएल पर जाएँ gktrickhindi.com
Gurushala | 13 Dec 2021
पर्वत कैसे बने?
पर्वतों का वर्गीकरण
भू-स्थल पर अनेक प्रकार के पर्वत पाए जाते हैं. ये पर्वत अपनी आयु, ऊंचाई, स्थिति, निर्माणकारी प्रक्रिया, बनावट आदि की दृष्टि से एक-दूसरे से इतने भिन्न होते हैं कि कोई भी दो पर्वत एक-दूसरे जैसे नहीं होते हैं. विद्वानों ने अलग-अलग आधार पर पर्वतों का वर्गीकरण किया है. इस लेख में हम विभिन्न आधार पर वर्गीकृत किए गए पर्वतों का विवरण दे रहे हैं. अधिक जानकारी के लिए यूआरएल पर जाएँ jagranjosh.com
Gurushala | 13 Dec 2021
मौसम और जलवायु
मौसम और जलवायु में क्या अन्तर है?
भारत की जलवायु में काफ़ी क्षेत्रीय विविधता पायी जाती है और जलवायवीय तत्वों के वितरण पर भारत की कर्क रेखा पर अवस्थिति और यहाँ के स्थलरूपों का स्पष्ट प्रभाव दृष्टिगोचर होता है। इसमें हिमालय पर्वत और इसके उत्तर में तिब्बत के पठार की स्थिति, थार का मरुस्थल और भारत की हिन्द महासागर के उत्तरी शीर्ष पर अवस्थिति महत्वपूर्ण हैं। हिमालय श्रेणियाँ और हिंदुकुश मिलकर भारत और पाकिस्तान के क्षेत्रों की उत्तर से आने वाली ठंडी कटाबैटिक पवनों से रक्षा करते हैं। यही कारण है कि इन क्षेत्रों में कर्क रेखा के उत्तर स्थित भागों तक उष्णकटिबंधीय जलवायु का विस्तार पाया जाता है। थार का मरुस्थल ग्रीष्म ऋतु में तप्त हो कर एक निम्न वायुदाब केन्द्र बनाता है जो दक्षिण पश्चिमी मानसूनी हवाओं को आकृष्ट करता है और जिससे पूरे भारत में वर्षा होती है। अधिक जानकारी के लिए यूआरएल पर जाएँ hi.wikipedia.org
Gurushala | 13 Dec 2021
सबसे प्राचीन पर्वत
हजारों वर्ष पुराने पर्वत
भू-स्थल पर अनेक प्रकार के पर्वत पाए जाते हैं. ये पर्वत अपनी आयु, ऊंचाई, स्थिति, निर्माणकारी प्रक्रिया, बनावट आदि की दृष्टि से एक-दूसरे से इतने भिन्न होते हैं कि कोई भी दो पर्वत एक-दूसरे जैसे नहीं होते हैं. विद्वानों ने अलग-अलग आधार पर पर्वतों का वर्गीकरण किया है. इस लेख में हम विभिन्न आधार पर वर्गीकृत किए गए पर्वतों का विवरण दे रहे हैं. अधिक जानकारी के लिए यूआरएल पर जाएँ jagranjosh.com
Gurushala | 13 Dec 2021
प्रमुख भक्तिकाल कवि
भक्तिकाल के कवि और उनकी प्रमुख रचनाएं
भक्तिकाल में कृष्णभक्ति शाखा के अंतर्गत आने वाले प्रमुख कवि हैं - कबीरदास, संत शिरोमणि रविदास,तुलसीदास, सूरदास, नंददास, कृष्णदास, परमानंद दास, कुंभनदास, चतुर्भुजदास, छीतस्वामी, गोविन्दस्वामी, हितहरिवंश, गदाधर भट्ट, मीराबाई, स्वामी हरिदास, सूरदास मदनमोहन, श्रीभट्ट, व्यास जी, रसखान, ध्रुवदास तथा चैतन्य महाप्रभु। अधिक जानकारी के लिए यूआरएल पर जाएँ m.dailyhunt.in
Gurushala | 13 Dec 2021