एक भिखारी एक मंदिर के सामने बैठकर प्रतिदिन भीख मांग कर अपना गुजारा करता था। हर सुबह भगवान के दर्शन करता और हर रोज यही कहता हे प्रभु मेरी गरीबी दूर हो जाए। और फिर भीख मांगता,जो कुछ उसे दिन भर में मिलता रात को बैठकर जांचता कि दिन भर में उसे क्या क्या मिला है।इसी दिनचर्या में एक रात उसे कागज का एक टुकड़ा मिलता है उसमें पारस पत्थर का रहस्य लिखा हुआ होता है। वह अगले दिन पूरी तैयारी के साथ पारस पत्थर की खोज में निकल जाता है। समुद्र तट के किनारे अपना डेरा लगा के वह पारस पत्थर की खोज करने समुद्र के अंदर जाता है और बारी बारी पानी से पत्थरों को छानकर देखता है । ऐसा करते उसे महीनो बीत जाते हैं। पर एक दिन उसे पत्थर की गर्माहट महसूस होती है और आदत के अनुसार वह उसे बह जाने देता है । पर जैसे ही वह बहता है तुरंत उसे आभास होता है कि जो उससे बह गया वह तो पारस पत्थर था |
ठीक इसी तरह हम सब भी अपना एक उद्देश्य लेकर आगे बढते हैं और उसकी प्राप्ति के जो भी अवसर मिले हमें सतर्क होकर उसे पहचान करना आना चाहिए।
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श्रध्दा रानी एक शिक्षिका है। अवसर समय पर उनको लिखना पसंद है। कोई भी विचार उनका निजी विचार है।