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कला और संस्कृति

किसी भी देश या समाज की पहचान उस देश की कला और संस्कृति से होती है | प्रायः सामान्य रूप से यह सुननाने में आता है की वहां की संस्कृति बहुत धनी और समाज बहुत उन्नत था |संस्कृति वास्तव में वह सब कुछ है जो मनुष्य इस दुनिया में बनाता है। मेरा मतलब है सब कुछ, भाषा, कृषि, भोजन और भवन  जो कुछ भी बनाते हैं वह एक संस्कृति है।इसमें साझा दृष्टिकोण, मूल्यों, लक्ष्यों और प्रथाओं के  समूह को शामिल किया जा सकता है। कला - संस्कृति का विशाल उपखंड, कई रचनात्मक प्रयासों और विषयों से बना है। कला में दृश्य कला, साहित्यिक कला और प्रदर्शन कला शामिल हैं।



कला संस्कृति के पहलुओं में से एक है। यह वस्तुओं को बनाने या अवधारणाएँ स्थापित करने के लिए एक  रचनात्मक दृष्टिकोण है। इसे एक भौतिक वस्तु के रूप में परिभाषित किया जाता है जिसे हम बनाते हैं चाहे वह पेंटिंग हो या फिल्म या जो भी हो। तो यह लगभग बनाने जैसा है। यह एक शिल्प या कौशल है जिसके द्वारा हम एक वस्तु बनाते हैं और वह वस्तु वैचारिक भी हो सकती है और भौतिक भी।यह मनुष्य द्वारा एक बहुत ही परिभाषित कृति  है जिसे हम  कला कहते है। कला विचारों को बदलने, मूल्यों को स्थापित करने और स्थान विशेष  और समाज  के अनुभवों  को प्रभावित करती है। अगर सामान्य दृष्टि से देखा जाये तो कला एक संवाद है; यह विभिन्न संस्कृतियों और अलग-अलग समय के लोगों को छवियों, ध्वनियों और कहानियों के माध्यम से एक दूसरे के साथ संवाद करने में सहायक होता है।

कला अधिकांशतः सामाजिक परिवर्तन का माध्यम होती है।आप संस्कृति को बदलना चाहते हैं तो आपको उसमे अपने जीवन का बहुत कुछ दांव पर लगाना होगा | निश्चित रूप से कला वास्तव में  एक बड़ा बदलाव ला सकती है । लेकिन समस्या यह है कि मैं हर समय देखता हूं कि लोग नहीं जानते कि वे किस बारे में बात कर रहे हैंउन्हें स्वयम स्पष्ट नहीं है  कि कला और संस्कृति से उनका क्या मतलब है।

कला में संस्कृति की भूमिका :

कला मानव रचनात्मक कौशल और कल्पना की अभिव्यक्ति या अनुप्रयोग है, आमतौर पर दृश्य रूप में जैसे पेंटिंग या मूर्तिकला , नृत्य , नाटक और सिनेमा मुख्य रूप से उनकी सुंदरता या भावनात्मक प्रेरणा  के लिए सराहना की जाने वाली रचनाएँ हैं । संस्कृति एक कलाकार की कलाकृति को एक सामाजिक संदर्भ को अभिव्यक्त करती है , सभी कलाकृतियां, कुछ हद तक, उनकी संस्कृति की एक झलक होती  हैंऔर वे प्रचलित मान्यताओं और विश्वासों को दर्शाती हैं।



ऐतिहासिक कला का महत्व:

अतीत की कला का अध्ययन हमें सिखाता है कि लोगों ने खुद को और अपनी दुनिया को कैसे देखा है और वे इसे दूसरों को कैसे दिखाना चाहते हैं। कला इतिहास एक ऐसा साधन प्रदान करता है जिसके द्वारा हम अपने मानव अतीत और हमारे वर्तमान के साथ उसके संबंध को समझ सकते हैं, क्योंकि कला  का कार्य मानवता की सबसे सर्वव्यापी गतिविधियों में से एक है।कला इतिहास की परिभाषा उन  वस्तुओं का अध्ययन है जिसे उनके समय अवधि के भीतर माना जाता है।  इतिहासकार दृश्य कला के अर्थ (पेंटिंग, मूर्तिकला, वास्तुकला) का विश्लेषण उस समय के आधार पर करते हैं जब वे बनाए गए थे।  इतिहासकार इस बात में रुचि रखते हैं कि जिस समय वे बनाए गए थे, उस काल खण्ड में समाज का स्तर और लोगों की बौध्धिक क्षमता कैसी रही होगी और वह  कला उस समाज का प्रतिनिधित्व करती है । सभी जाग्रत समाज और जागरूक राष्ट्र अपने अतीत को आने वाली पीढ़ी तक पहुंचाने के लिए संग्रहालय इत्यादि की व्यवस्था करते है |

भारतीय संस्कृति के सन्दर्भ में :

भारतीय संस्कृति विश्व की प्राचीनतम संस्कृतियों में से एक है। यह माना जाता है कि भारतीय संस्कृति यूनान, रोम, मिस्र, सुमेर और चीन की संस्कृतियों के समान ही प्राचीन है। कई भारतीय विद्वान तो भारतीय संस्कृति को विश्व की सर्वाधिक प्राचीन संस्कृति मानते हैं।



भारतीय संस्कृति:

भारतीय संस्कृति का स्रोत और उदय वैदिक युग से प्राप्त होता है। वेद विश्व के प्राचीनतम ग्रंथ माने जाते हैं। प्रारंभ से ही भारतीय संस्कृति अत्यंत उदारवादी ,सहकारी , दया और वसुधैव कुटुम्बकम पर आधारित रही हैंजिसमें जीवन के प्रति वैज्ञानिक दृष्टिकोण तथा आध्यात्मिकता का अद्भुत संगम पाया जाता है।

शारीरिक, मानसिक और आत्मिक शक्तियों का विकास ही संस्कृति की कसौटी है। इस कसौटी पर भारतीय संस्कृति पूर्ण रूप से खरी उतरती है।प्राचीन भारत में शारीरिक विकास के लिये व्यायाम, यम, नियम, प्राणायाम, आसन ब्रह्मचर्य आदि के द्वारा शरीर को पुष्ट किया जाता था |

वर्तमान समय में भारतीय संस्कृति का स्वरुप :

भारतीय संस्कृति का नया रूप ब्रिटिश साम्राज्य की नींव के साथ प्रारंभ हुआ। इस काल में सभ्यता ने संस्कृति को दबाने की चेष्टा की अतः संस्कृति कासहीरूप  उभर नहीं सका।इस युग में रहन-सहनआचार-विचार पर पश्चिमी संस्कृति का प्रभाव पड़ा। संयुक्त कुटुंब प्रथा के स्थान पर एकल परिवारोंने जगह  ले ली है |धर्मनिरपेक्षता के सिद्धांत ने धर्म को पीछे धकेल दिया। विज्ञान ने ज्ञान के अपेक्षित स्वरूप की अपेक्षा कर दी भौतिकवाद उभरकर सामने आया और भारतीयों का सांस्कृतिक दृष्टिकोण अपने मूल लक्ष्य से भटक गया।वैश्वीकरण और आधुनिकरण के मध्य में गहरा संबंध है। जब भारतीय संस्कृति का स्वरूप आधुनिक हो गया तब निश्चित दिशा में होने वाले परिवर्तन भी दिखाई देने लगे।महिलाओं को उचित स्थान मिलाअर्थात् बदली हुई संस्कृति में महिलाओं के प्रति सोच बदली अब उसे सशक्तिकरण की ओर ले जाने के प्रयास किये जाने लगे। कई आंदोलन व चर्चाओं का सहारा लिया गया। इस प्रकार सांस्कृतिक, मानववादी व व्यक्तिवादी स्वरूप देखने को मिला|

कला और संस्कृति किसी भी समाज का दर्पण होती  है | इसके माध्यम से  उस समय के वर्तमान हालात और उन्नत समाज से आप परिचित हो सकते हैं | कलाकृतियां , इमारतें और नगर सज्जा के साथ ही साथ बौद्धिक रूप से उन्नत समाज की अवधारणा भी प्रतिबिंबित होगी | अपनी संस्कृति को सहेजकर रखने व उसका सवर्धन करने की जिम्मेदारी देश के हर नागरिक की होती है अर्थात हम् सभी संस्कृति के पोषक हो सकते है | जिससे भविष्य के लोग मानव सभ्यता के क्रमिक विकास और यात्रा को अनुभव कर सके और वर्तमान सुख सुविधा और संसाधनों का अतीत के संसाधनों के साथ एक तुलनात्मक अध्ययन कर सके | कला और संस्कृति के  माध्यम से हम स्वयं की कला कृतियों , परंपरा और समाज की प्रथाओं पर गर्व की अनुभूति भी करते हैं |

About the author

Anand Mishra is working in Pratham Education Foundation and works on aspects of Partnership & Communications of the teacher capacity development portal: Gurushala. Any views expressed are personal.

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