हम बच्चों के हैं दुलारे पापा ,कभी गुस्सा हम पर हो जाते
तो कभी प्रेम हम पर बरसाते ,हरदम कुछ नया सिखाते ,
तो कभी हमें पढ़ने बैठाते , कभी योगा करवाने लग जाते ,
भोर -भोर में हमें जगाते जोर-जोर से रनिंग करवाते ,
थककर हम जब कभी बैठ जाते ,चुटकी में हमारा हौसला बढ़ाते
पापा मेरे प्यारे पापा -कभी डाँटते -कभी डराते ,
कभी खिलौना हमारा बन जाते ,कभी सिखाते शतरंज के नियम ,
तो कभी खुद ही कराटे कोच बन जाते।
अगर कभी हम कहते पापा पिज़्ज़ा खिला दो -तो कहते
पहले गणित में 10 में से 10 तो ला के दिखा दो और। ...
हम जब 10 में से 10 ले आते तो कहते -दाल रोटी और लौकी तुम खा लो-
बेटा पिज़्ज़ा -बर्गर तो तुम भूल ही जाओ। सुनते जैसे ही बात सामान्य ज्ञान की -
मेरे प्यारे पापा खुश हो जाते और अगर जो खुश हो जाते
करंट अफेयर्स और पढ़ाते- हम बच्चे !शिनचेन -डोरेमोन अगर जो देख लेते –
तो वाईफाई तुरंत कटवाते,
मिन्नत करने पर वाई-फाई जुड़वाते ,वाई-फाई जो वे जुड़वाते,
उसी समय हमारे प्यारे पापा श्री -श्री रविशंकर बन जाते।
गलती अगर हम कुछ कर जाते तब वह हमारे गुरु बन जाते।
आज गुरु पूर्णिमा का है अवसर , करते हम उनको शत-शत नमन
पापा मेरे प्यारे पापा हमारे ,आँखों का तारा हैं मेरे पापा
दुनिया के सबसे बेस्ट पापा –
पापा ! मेरे प्यारे पापा।
About the author
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कुमुद पाठक एक शिक्षिका हैं । उन्हें १८ साल से अध्यापन क्षेत्र में पढ़ाने का अनुभव है। वह स्वरचित पठन एवं लेखन में रूचि रखती हैं । व्यक्त किए गए कोई भी विचार व्यक्तिगत हैं। |