The Arts

कीचड़ में तुम कमल की तरह खिलना सीखो

आएंगी कठिनाइयां जीवन में ,

राह तुम्हारी रोकेंगे पत्थर ,

एक मोड़ आएगा वह ,

जब हार जाओगे , तुमभी थक कर ,

दर्द मिलेगा , यह है जीवन ,

खोया पाया मत तुम सोचो ,

अपने आज को पहले सींचो ,

कीचड़  में तुम कमल की तरह खिलना सीखो | 

 

बीती आती की बातों में समय नष्ट तुम करते क्यों हो ,

गरुड़ पुराण को सोच कर हृदय कष्ट तुम करते क्यों हो,

अपने आप से बात करो, और स्वयं की क्षमता को पहचानो ,

जी  लो जीवन जैसा आए , और विषमता को पहचानो ,

अपनी राह स्वयं बना कर उस राह में चलना सीखो ,

कीचड़  में तुम कमल की तरह खिलना सीखो | 

 

डगर कठिन हो , सफर कठिन हो ,

पर, तुम कदम बढ़ाते जाओ,

जो राह तुम्हे लगती हो आसान, उसमे पहले सोचो , फिर जाओ ,

हार नहीं मनो तुम ,

पहले प्यारे कदम बढ़ाओ ,

अपनी राह स्वयं बना कर , उस राह में चलना सीखो ,

कीचड़  में तुम कमल की तरह खिलना सीखो |

About the author

गौरव त्रिपाठी 'पथिक' एक कॉर्पोरेट कर्मचारी हैं जिनका रुझान कविता लेखन की और है। 'पथिक चिट्ठा' नामक उनका ब्लागस्पाट पर पेज है जहाँ वह अपनी लिखी कविताएँ पोस्ट करते हैं। व्यक्त किये गए कोई भी विचार उनके अपने हैं। 

Comments

Syed Samdani

2 year ago

Excellent topic 👍👏👏

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