The Arts

महिला दिवस

शीतलता की प्रतिमूर्ति हो ,

तो कहीं अग्नि स्वरूपा -

कहीं गंगा की  हो  पावन कहानी 

कहीं पत्थरों  में छिपी  अहिल्या की निशानी,

 कोमल है व्यक्तित्व तुम्हारा ,

स्नेह भरा ममता का आँचल 

 कभी पिता का गर्व  बन जाती 

 कभी पिया  पर प्यार छलकाती ,

 संस्कारों में बंधी महिला -

है तेरी बस यही कहानी। 

कोमल है कमजोर नहीं ,शक्ति का नाम ही नारी है ,

आ जाए जो ज़िद  पर अपने ,पड़ती असुरों  पर भारी है। 

सृष्टि है तुझ में पूरी ,नहीं तेरा कोई सानी है, 

हर महिला का सम्मान -है उसका अधिकार ,

यही तो है -हमारे स्वर्णिम भारत की  पहचान।

About the author

कुमुद पाठक एक शिक्षिका हैं ।  उन्हें १८ साल से अध्यापन क्षेत्र में पढ़ाने का अनुभव है।  वह स्वरचित पठन एवं लेखन में रूचि रखती हैं । व्यक्त किए गए कोई भी विचार व्यक्तिगत हैं।

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