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सूनो सूनावुं अपने देशकी,
नारी की एक अद्भुत कहानी
जीवन बिकट ऐसे बिताती
रहे मौन बहे आंखो से पानी
सूनो सूनावुं अपने देशकी |
सीता देखो बन-बन भटकी,
अहल्या बन रही शीला;
तारामती बिकी बनी दासी,
द्रौपदीने भी दर्द ही जेला;
वो सबथी राजाकी महारानी;
सूनो सूनावुं अपने देशकी |
सती बनाके जिंदाजलाया,
विधवा को तो शर मूंडवाया ;
अरे! बालविवाह भी करवाया,
पढना लिखना पाबंधी फरमाया;
नारी पर होती रही मनमानी,
सूनो सूनावुं अपने देश की |
फिर नया युग जो आया,
ज्योतिबा फूले ने समजाया,
सावित्रीने शिक्षादीप जलाया;
बने भीमजी नारी उद्धारक,
सूनो सूनावुं अपने देशकी |
हिंदु कोडबील रहा सतत सहायक,
अब नारी जो चाहे करपाये;
आज नारी की है मुक्त कहानी ;
आज नारी की बात सुहानी !!
सूनो सूनावुं अपने देशकी |
इन्दिरा(गांधी) बनकर राज चलाये,
(कल्पना)चावला बन अवकाश में जाये,
(पी.टी.)उषा बन खेलाडी हो जाये,
लता(मंगेशकर) बनकर गीत वो गाये,
सूनो सूनावुं अपने देशकी |
रंग भर के अमृता(शेरगिल) बन जाये,
कानून पढकर किरण बेदी बन जाये
लिखके वो महादेवी(वर्मा) कहलाये
वैजयंती(माला)सी नृत्यांगना हो जाये
सूनो सूनावुं अपने देशकी |
अैश्वरिया,सुस्मिता,प्रियंका देखले,
सानिया, हीमा,मैथिली को न भुले,
हर क्षेत्र मे नाम अपने लिखाये,
यश 'प्रीति' हर जगह से पाये,
सूनो सूनावुं अपने देशकी |
About the author
Priti Waghela is an active teacher associated with Gurushala. Any views expressed are personal.
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