Dear Diary

सकारात्मक प्रयास

प्रसन्नचित व्यक्ति में रचनात्मक शक्ति अधिक होती है |

उपरोक्त पक्ति के प्रत्येक शब्द का अत्यधिक गहरा महत्त्व है , कब , जब हमने इसे अपने जीवन में इसे उतारा हो | बेसिक शिक्षा विभाग में नौकरी करने के बाद मैंने यह महसूस किया है कि यहाँ का हर शिक्षक (अधिकतर , .... माफ़ी चाहूगी) सरकार द्वारा प्रस्तावित कार्यों को करने में बोझ समझते है | हर नयी चीज उन्हें लगती है - लो और बढ़ा काम |

हममे से बहुत से शिक्षक अंग्रेजी माध्यम के स्कूलो में नौकरी करके आये है या तो उनके पास नौकरी नहीं थी | यदि हम बेरोजगार थे तो ये ईश्वर की महान अनुकंम्पा है कि हमें जॉब मिली और यदि हम पढ़ाते थे तो वहां तो सब काम बड़े उत्साहपूर्वक करते थे मगर बेसिक में आने के बाद क्या हुआ ?

यह एक बहुत बड़ी समस्या है क्योकि संसाधन कम है हमें उसी में काम चलाना है हलाकि प्रत्येक कार्य के लिए बजट है जो सर्व विदित है |

वे सभी कार्य जो प्राइवेट कॉलेज करता है जैसे पेरेंट्स - टीचर मीटिंग , टीचर्स मीटिंग्स , नेशनल फेस्टिवल सेलिब्रेशन , एनुअल डे सेलिब्रेशन आदि मगर बेसिक में इन कार्यो के लिए आर्डर का इंतजार होता है | हम भी पूरे मनोयोग के साथ मीटिंग्स करे | माना कि अभिवावक कम आते है पर आते तो जरूर है | “एक दिया जलाओ तो सही फिर देखो अंधकार कैसे मिटता है” | हमारा प्रयास सच्चा होना चाहिए |माना कि हमारा स्टाफ कम होता है पर इतने सालो की नौकरी में मैने पाया कि अपनी उलझनों को किनारे कर यदि हम विद्यालय में विद्यालय का होकर , प्रसन्नतापूर्वक काम को करते हैं तो निश्चित ही सभी काम अपने स्टाफ के साथ मिलकर कर सकते हैं |

सकारात्मक प्रयास और खुशहाल माहौल हमें और बेहतर काम करने की प्रेरणा देता है जिससे वे बच्चे जो हमारा दिल से इंतजार करते हैं शायद हम उनकी उम्मीदों पर खरे उतर सके |

ये तभी हो सकेगा हम प्रसन्न रहेंगे और तब घर व विद्यालय दोनों को बखूबी संभाल पाएंगे |   हमें हमेशा ये ध्यान रखना होगा - जहाँ समस्या होगी वहां समाधान भी होगा |

About the author

Sunita Srivastava is a Science Teacher of the Junior Section in the Basic Education Department. She is currently posted in K.P.M.V Oel, Behjam, Lakhimpur-Kheri. Any views expressed are personal.

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